saanjh aai
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परम्परा जीवन है
जीवन दायक है
जो कुछ बचा ध्वंस से
रखने लायक है |
घाट बाँध कर
गहरे पैठो
चलने दो संघर्ष
ब्यर्थ, जल जाने दो
लेकिन कच्ची ,हरी डाल
संरक्षित कर लो |
लुप्त न हो जाये कुछ ऐसा
पा न सकें जिसको हम वैसा
बात मान लो !!
परम्परा टूटी तो
नींद न आएगी ||
जड़ से छूट गए तो बोलो
और कहाँ जा पाओगे ??
परम्परा का स्वाद चखो तो
बड़ा नशा है
कल न पड़ेगी
बिना चखे मर जाओगे
अपनी मिट्टी,अपना मधुरस
ऐसा है की –
याद रखोगे ,याद रखोगे ||
शकुन्तला मिश्रा-
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