saanjh aai
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चहकते हैं नयनों में प्राण
कौन गाये अब दुःख के गान ?
है श्वासों में द्रुत ,
झंकृत तार |
ह्रदय के वर्ण ,
अविनश्वर आज |
रे चिरकालिक
के संचित ज्ञान
बता जीवन है कैसी प्यास ?
है अवगाहित जीवन की ज्योत
निर्मल कलकल में बंधा विश्व |
हैं वर्ण चमत्कृत ,मन -स्वर -तार |
कौन गाये अब दुःख के गान ?
शकुन्तला मिश्रा -चहकते हैं नयनों में प्राण
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