Menu
blogid : 14516 postid : 905891

एक था मन

saanjh aai
saanjh aai
  • 70 Posts
  • 135 Comments

देखना चाहूँ सब संसार ,
प्राणो को प्लावित कर अपार !
सब काल वहन कर लूँ खुद पर ,
तैर कर जा पहुंचूं उस पार !
करुणा की धार बहाऊंगी ,
पाषाण की कारा तोड़ूँगी !
फूलों की गंध वसा लूंगी ,
रवि की किरणों पर दौडूँगी !
शिखर -शिखर को चूमूंगी ,
सॉरी वसुंधरा डोलूँगी !
निज ह्रदय की बातें कह दूँगी ,
हर प्राण गान में मैं हूँगी !
इतना सुख साध मेरे मन में ,
तारे जितने नभ मंडल में !
सब गूँथूँगी इक माला में ,
यौवन सा वेग है प्राणो में ,
आशा असीम है इस मन में ,
भावों के गीत भरे मन में !!

एक था मन -शकुंतला मिश्रा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh