गर तुम्हारा अंश हूँ मैं ,
मिट नहीं सकती हूँ तब मैं ।
मृत्यु तो बस तन का रंग है ,
आती देती नूतन तन है !
तुम “अनंत “तो मैं भी “काल”हूँ
लौट धरा पर फिर आना है !!
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