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या देवी सर्वभूतेषु …..

saanjh aai
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तू ही नारायण ,तू ही नारायणी !
तू ही शक्ति ,तू ही ज्योति !
तू ही भूलोक में ,तू ही भुवः !
तू ही दिन रात में ,तू ही ज्ञान चित्त में !
तू ही उल्ल्हास में ,तू ही उत्साह में !
तू ही हर्ष में ,तू ही विषाद में !
तू ही प्राण !मरण ,हरण में तू है !
हे माँ !!!
निद्रा तोड़ो ,चित्त जगा दो !
मुक्त स्वर दो ,मानस रस दो ,
अमरत्व दो ,आलोक दो !!
त्रिभुवन मोहिनी
चिर कल्याणी
विश्वविजयनि
पुण्यपियूशिनी
हे जगजननी ,भय विनाशिनी
निखिल नाथ से मिला दे !
सर्वब्यापिनी माँ !
आशीष दे !
अंतर्मन मेरा विकसित कर दे ,
थोड़ी महक दे ,उज्जवल कर दे ,
आनंदित ,स्पंदित कर दे !
निज आरती का दीप बना ले !

शकुन्तला मिश्रा – या देवी सर्वभूतेषु …..

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