saanjh aai
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मैं हूँ हिन्द की हिंदवीं
मैं मीठी ,सरल जुबान !
पहली कविता की हिंदी -मैं
भारत के कण -कण में हूँ -मैं
देशज भाषा की नानी -मैं
हर भाषाओँ की दादी -मैं
ब्याकरण से पहले जन्मी -मैं
हर शब्द कोष है बाद मेरे
अब हर बन्दा बोले हिंदी
कंप्यूटर भी लिखे हिंदी
उर्दू ,फ़ारसी ,संस्कृत से
खुद को मैंने समृद्ध किया !
आंचलिक बोलियाँ मुझमे हैं
सबकी जुबान पर मैं ही हूँ !
मैं हिन्दुस्तान की “तूती” हूँ
मैं थी ,मैं हूँ और मैं ही हूँ !!!
शकुंतला मिश्रा -सुल्तानपुर
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