saanjh aai
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मैंने तुम्हारे लिए एक द्वार खोला है
जो उजाले से जाकर मिलता है !
तुम इसी से होकर गुजरना
तुम यही पर आना !
अंधकार बड़ा गहरा है
असुरक्षित खाई है !
वो तुम्हारा पथ नहीं है !
तुम्हारी सुरक्षा के लिए ,
जीवटता के लिए ,
उत्तम भावना के लिए
मैंने एक राह खोली है
जो आसमा की ओर जाता है ,
तुम यही से होकर चलना !
मेरे तजुर्बे का निचोड़ ,
हर तकरीर की तहरीर ,
मेरे ख़्वाबों की तावीर
बनाता है ये द्वार !
तुम इसी से गुजरना !
तुम इसी से गुजरना !!
तुम इसी से गुजरना -शकुन्तला मिश्रा
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