saanjh aai
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अलि घिर आये मेघ घनेरे
धरा हरी ,वन पात घनेरे !
बादलों से घिरा दिनकर
अरुण किरणों को भगाकर !
टी कि ट, टिप -टिप मेघ बरसे
गान गाते सप्त सुर से !
बरसो आज खूब रसधार
दिखा मुझको भी निज संसार !
ह्रदय में मची आज हलचल
कही ले चल पागल बादल !
नदी भी आज हंसी खल-खल
बहेगी वर्षों यह कल कल !
देख कर नाचे बेकल मन
दिखा अम्बर में घोर सघन !
गर्जन ,वर्षण मूसलाधार
बांध लेगा सारा संसार !
कभी तो करे वज्र हुंकार
हो गए सजग सब सुप्तान्कुर !
shakuntla -मेघ
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