saanjh aai
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कभी जख्मी परिंदे का
शिकार मत करना !
पनाह मांगे जो उसका
शिकार मत करना !
जगत की चोट का रवुलकर
प्रचार मत करना ।
कृपा की चाह में कोई
गुनाह मत करना ।
बदल सकता है दु््श्मन भी
पहले प्रहार मत करना ।
अन्धेरा भी बन सकता है साथी
निराशा स्वीकार मत करना ।
बड़े तप करम से मिलता है ये मानव जीवन
इसे यूँ ही बेकार मत करना ।
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