saanjh aai
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आज हर द्वार पर आया है
फिर बसंत !
नीले ,पीले ,हरे ,रंगों वाला
है बसंत !
हर चिंता ,हर कुंठा से मुक्त
हो वसंत !
चलो सखी सब मिल मनाये
ऐसा बसंत !
<!–
क्रोध और वैर को दूर करे
इस वसंत !
रंग रंगीला मदमाता हँसता
आया वसंत !
जाति,धर्म ,वर्ग को मित्र बना
दे वसंत !
<!–सपन
सारी धरती देखो खेल रही
है वसंत !
मत बैठो घर कोई उठो
खेलो वसंत !
भस्म हुए सब विकार पावन हो
ये वसंत !
हम सबके मित्र बने प्रेम रँगे
यह वसंत !
रंगो की हो ,ली मैं होली में
ये वसंत !
आनंद होली की लाल हुआ
ये बसंत !
चंदा का दाग आज घुल गया
होली में !
प्रेम को ताबीज में पहने इस
होली में !
राधा ने कान्हा संग खेल था
प्रिय वसंत !
अभया खेलन चाहे ऐसा रंग
इस वसंत !!
वसंत की होली -शकुंतला मिश्रा “अभया “
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