saanjh aai
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कभी जख्मी परिंदे का
शिकार मत करना !
पनाह मांगे जो उसका
शिकार मत करना !
जगत कि चोट काखुलकर
प्रचार मत करना !
कृपा कि चाह में
कोई गुनाह मत करना !
बदल सकता है दुश्मन भी
पहले प्रहार मत करना !
अँधेरा भी बन सकता है साथी
निराशा स्वीकार मत करना !
बड़े तप कर्म से मिलता है ये मानव जीवन
इसे यूँ ही बेकार मत करना !
mat karna -shakutla mishra
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