saanjh aai
- 70 Posts
- 135 Comments
वर्षो बीते –
अर्ध रात्रि को नींद आती है
तुम आओ तो सो जाउ !
शामे खाली सूनी हैं –
सूरज अस्ताचल जाता है ,
उस तरफ अँधेरा आता है
इन सब के बीच अकेली मैं
तुम आ जाओ तो सहज लगे
मुझे अकेली छोड़ न जाना !
हो घन चुम्बित –
है गर्व मुझे
तुम आओ तो आँचल हॅस दे
आँखें मेरी पथ तके तेरी
मुख सुहास कि अरुणा न्यारी
चंचल हास बसी स्मृति में
तुम आओ तो प्राण जगे !
तू जीते तो मेरी जीत है
तुझसे हारूं तो भी जीत है
श्वास -श्वास में शत – शत जीवन
तुम आओ तो आस फले
तू मुझमे चित्रित है ‘विंदू ‘
काया में छाया है तू क्यों ?
समझ सको तो गीत मिले
कहना है कुछ ,कुछ कहती हूँ
बेसुध मन पर श्वास का अक्षर
पढ़ पाओ तो शान्ति मिले
Read Comments