saanjh aai
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जब घने श्यामल आकाश में बादल आतें हैं तो धयान से देखें बादलों से बनी कई तरह की आकृति दिखती है ऐसा ही इक रोज –
दिखा इक रोज ये नभ में रूप
कही थी खड़ी नृत्य बाला
कही था भेड़ो का झाला
कही कोई बच्चा खेल रहा
कही कोई वृद्ध था झुका खड़ा
कही शिव का नटराज रूप
कही गजवदन लिए निज रूप
दिखी थी वही योगमाया
उन्हें था वंशी सुर भाया
भगा फिर एक श्वेत बादल
न जाने कित जाय पागल
खिचे थे तरह -तरह के चित्र
बादलों से चित्रित नभ चित्र !
शकुन्तला
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