saanjh aai
- 70 Posts
- 135 Comments
तृप्ति में जीवन न पाया
प्यास ही तू है -पपीहे !
निज क्षितिज में
नील नभ में ,
नापता है रॊज सागर
ढूंढता रहता है नित तू
पी कहाँ हैं पी कहाँ ?
नाप पाता यदि मेरी तू
ह्रदय अंतर मेघमाला
पी बसा उर है कहाँ ?
खोज मुझमे पी कहाँ ?
Read Comments