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यामिनी

saanjh aai
saanjh aai
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मुखरित है प्रतिश्वास
मधुर है यामिनी की यह रात !
शून्य नभ में गुंजन है आज
प्रकम्पित है सारे नक्षत्र !
सुनाते युगों -युगों की बात !
सजनी !अन्तर्हित पुलक है आज !
विरह कल का बंदी है आज !
भाव सब रंगे रंगीले आज !
तिमिर में दीवाली है आज !
बनी बंदिनी भी स्वामिनी आज !
नियति है कुशल चितेरा आज !
भरा यह जीवन पात्र है आज !

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