saanjh aai
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हे अभयंकर !
पाहिमाम !!
मैं ला न सकी नैवैद्द्य तेरा !
अर्पित है तुझको मृत्युंजय
जो मिला मुझे इस जीवन से !
मेरे जीवन का हर प्याला ,
आनंद निमिष का हर इक कण ,
बन पुष्प तेरे चरणों में चढ़े !
मेरी छोटी सी बगिया में
जो कली खिले ,
पुलकित पल्लव
है- सर्वेश्वर तुझको अर्पण !
डाली का कोई फूल जिसे मैं ममतावश विलगा न सकूँ
है जहां खिला तुझको अर्पण !
प्रिय फल ,नैवैद्द्य ,मेरा जीवन
तेरी करुणा के रूप हैं सब !
अक्षत ,चन्दन, मंदार सुमन
हे हृदयेश्वर !
तुझको अर्पण !
अघ नाशक है जो विल्वपत्र
तेरे मंदिर मैं लायी हूँ
तेरी विराट ,अविरल धारा
जीवन के ताप नष्ट कर दे !
हे सोमेश्वर !
सिरसा नमामि !
हे सिद्धेश्वर !
मनसा स्मरामि !
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